Thursday, April 29, 2010

Muskaati aankhen...

बड़ी बड़ी वो आँखें उनकी..
मुस्काती मटकाती ...
काली काली वोह आँखें उनकी...
झुक झुक के शर्माती...


कभी झपक के ..
कभी मचक के..
सब कुछ वो कह जाती...
प्यार भी उनका...
उनका गुस्सा... सब मुझको दिखालती...


घूर घूर के कभी डराती..
कभी.. सिमट के बस हंस जाती...
बड़ी बड़ी वो आँखें उनकी...
मुस्काती मटकाती...


आँखों से बातें..
और आँखों में रातें...
सब मुझको दिखलाती...
गहरी गहरी सागर सी...
नित नए फूल खिलाती ..


कभी  आइना  बन जाती ..
तो कभी तस्वीर दिखलाती ...
बड़ी बड़ी वोह आखें उनकी...
मुस्काती मटकाती ...


पायल की छन छन ...
घुंघरू की घन घन...
न जाने कैसे कैसे साज़ बजाती...
कभी  नाचती  ... इठलाती .. और  
कभी धीमे से लजा जाती ...


बड़ी बड़ी वो आँखें उनकी...
मुस्काती मटकाती...


- उदित.

4 comments:

  1. Sahi hai hero. Tum saare bloggers hero ho. Good good keep it up.

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  2. Waise inspiration kahan se mili :-)

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  3. yeh kahin nidhi ki badi badi aakhen to nahi ...... sagai ke din wali ?

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  4. Kya baat hai... dedicated to Madam Spl... :-)

    nice one...

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