Sunday, August 1, 2010

Baadal Baarish aur ziandagi..

बादलो के नीचे..
बारिशो के बीच..
कुछ ख्वाब थे पले..
पर ज़िन्दगी कुछ दूर..
बस थोड़ी दूर.. है चले...

काले थे बादल..
घिरा था आसमान..
ख्वाब थे अनगिनत..
भरा था अभिमान..

खुला है मौसम..
दूर तक दीखता है सब...
बारिश जो होती है अब..
याद आता है सब..
पाँव पड़े है ज़मीन पे..
और उड़ते थे तब..

पंख तो आज भी है..
फैलाना नहीं चाहते..
प्यार जिनसे करते है..
उनको सहमाना नहीं चाहते..

वो बादल आज भी..
कुछ खवाबो को पालते होंगे..
वो बारिश आज भी..
कुछ अरमान भिगाती होगी..
कुछ साल में ज़िन्दगी फिर ज़मीन पे आती होगी..
और फिर पंख फैला के उड़ जाती होगी...

ज्यादा मत सोचो.. मुझे भी नहीं पता मैं ऊपर क्या लिखा क्या नहीं... बस मन किया और लिख दिया... :)

-उदित

Saavi - You are two!

My sweet, little daughter… You are already two.. Day before yesterday… You came in our arms… Like a nightingale… Filling our hearts with w...