Saturday, April 24, 2010

bus yun hi..

कभी कभी तन्हाइया  भी बहुत कुछ कह जाती है... 
कभी शोर भी चुप रह जाता है... 
हम चाह कर भी कुछ कह नहीं पाते... 
और वक़्त बस यूँ ही सरकता जाता है...


कभी कुछ dhundte रहते है हम कही..
कभी कुछ और ही मिल जाता है..
अभी न समझे हम कीमत जिसकी..
यह सरकता वक़्त समझा जाता है..


बस कभी देर सी हो जाती है ..
कभी हम जल्दी ही चाहते हैं...
जीवन की आपा धापी में...
हम कुछ खुशिया खोते जाते हैं...


यह वक़्त सरकता जाता है...
और हम कही पीछे रह जाते है...
आगे बढ़ना चाहे भी तो ...
कभी धक्का सा लग्ग जाता है...


कभी मन का बच्चा जागता है..
कभी बूढ़ा सा हो जाता है...
उछल कूद करता है कभी...
कभी लाठी ले के चलता है...



चाहो तो खुश हो लो...
चाहे रोलो धोलो...

पर यह वक़्त यूँही बस यूँही सरकता जाता है...


उदित.

No comments:

Post a Comment

Saavi - You are two!

My sweet, little daughter… You are already two.. Day before yesterday… You came in our arms… Like a nightingale… Filling our hearts with w...